उस दिन अखबार में पढ़ा कि चीन में इंटरनेट के हेकर्स को प्रशिक्षण देने वाले बकायदा संस्थान खुल गये हैं। यह कोई एक दो नहीं बल्कि बड़ी तादाद में है। यह पढ़कर माथा ठनका। इससे पहले चीनी हेकर्स द्वारा पूरी दुनियां में उत्पात बचाने की चर्चा हो चुकी है। हो सकता है कि कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हों पर खबर पढ़कर लगा कि जैसे अब अंतर्जालीय आतंकवाद की तैयारी हो रही है।
इन हैकर्स को विदेशियों के सर्वरों की सूचनायें एकत्रित करने और उन्हें हैक करने का बकायदा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह कोई मनोरंजन के लिये नहीं हो रहा बल्कि इस आतंकवाद का बकायदा व्यवसायिक उपयोग होने की आशंका प्रतीत होती है। चीन में इस समय बेकारी बहुत है और हो सकता है कि उसके युवक युवतियां इसमें बेहतर संभावनायें ढूंढ रहे हों। देश के कुछ लोगों को शायद यह मजाक लगे पर इस लेखक ने तीस साल पहले आतंकवाद पर कविता लिखी थी और आज भी लिखता है और यही अनुभव बताता है कि कहीं न कहीं अवैध ढंग से धन कमाने वाले इसी प्रकार के आतंकवाद के पीछे जाकर अपना काम करते हैं। यह हैकरी का धंधा कोई अकेले चीनी नहीं करेंगे बल्कि उनको उन देशों में अपने जमीनी संगठन की जरूरत होगी जहां से अपने कुकृत्य से धन वसूल करना होगा। ऐसे में बकायदा गिरोह बन सकते हैं।
चीन में जिस तरह की व्यवस्था है उसमें यह संभव नहीं है कि वहां के हैकर अपने देश के लोगों के विरुद्ध यह काम करें इसलिये इससे असली खतरा अन्य देशों को हैं जिसमें भारत का नाम होना तय है। जिस तरह खूनी आतंकवाद में विश्व के लोग भेद करते हैं वैसे ही इस अंतर्जालीय आतंकवाद में भी करेंगे और उसमें भी भारत के आतंकवाद को अनदेखा किया जा सकता है। भारत में सरकारी और निजी क्षेत्र में अनेक संगठन हैं और उनको निशाना बनाने का प्रयास भविष्य में हो सकता है। अखबारों में हैकर को प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों सार्वजनिक रूप से खुलना इस बात का ही संकेत हैं। उस समय चीन जांच और कार्यवाही में सहयोग करेगा यह तो सोचना ही बेकार है। फिर भारत में कहीं न कहीं उन हैकर्स का जमीनी संगठन जरूर बनेगा जिसके सहारे वह यहां अंतर्जालीय आतंक फैला सकें।
कहने को चीन तो यही कहेगा कि यह तो निजी क्षेत्र के कुछ लोग कर रहे हैं पर यह सब जानते हैं कि वहां की सरकार के बिना वहां पता भी नहीं हिल सकता।
अभी हाल ही में भारतीय नक्शे के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आयी जिसपर गूगल ने अपनी गलती मानी पर एक हिदी ब्लाग लेखक ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि यह किसी चीनी हैकर्स की बदमाशी है। इसमें भारतीय अधिकार वाले क्षेत्र चीनी क्षेत्र में दिखाई दिये गये। कुछ ब्लाग लेखकों ने इस पर शोर मचाया तो कुछ ने इसे तकनीकी पक्ष में अपने विचार रखते हुए बताया कि यह एक चीनी हैकर की शरारत है। एक हिंदी ब्लाग लेखक का कहना है कि गूगल के आधिकारिक नक्शे में सब पहले ही जैसे है। जिस नक्शे में हेराफेरी की गयी है उसे कोई भी कापी कर उसमें हेरफेर कर सकता है। संभव है कि गूगल ने इस इरादे के साथ उसे खुला रखा हो कि कोई अच्छा परिवर्तन वहां हो जाये तो उसे अपने नक्शे में भी दिखाया जाये। इसी बारे में एक ब्लाग लेखक ने बताया कि किसी चीनी हैकर ने उसमें घुसकर परिवर्तन किया है। मजे की बात यह है कि गूगल इस गलती को अपनी मान रहा है भारतीय ब्लाग लेखक तो कहते हैं कि उसकी कोई गलती नहीं है पर वह मानेगा क्योंकि उससे लोगों में यह संदेश जायेगा कि उनके सारा डाटा सुरक्षित हैं। अगर अपनी गलती न मानकर वह चीनी हैकर पर बात डालता हो यह संदेश उल्टा जायेगा। आशय यह है कि चीनी हैकर्स को यह सुविधा मिल गयी है कि वह अपराध भी कर बच भी गया। इस लेखक को अधिक जानकारी नहीं है पर जो टीवी चैनल पर देखा और हिंदी ब्लाग जगत में पढ़ा उसी के आधार पर यह सब लिख रहा है।
कुछ तकनीकी ब्लाग लेखक बताते हैं कि गूगल ने बाहर के लोगों से मदद लेने के लिये अपने कुछ साफ्टवेयर खुले रख छोड़ रखे हैं। इनमें गूगल समूह का नाम तो सभी जानते हैं। इस समूह में हिंदी ब्लाग जगत के अनेक तकनीकी ब्लाग लेखकों ने ‘चिट्ठाकार समूह’ शुरु किया जो आजतक चल रहा है। इसी में ही भारतीय भाषाओं के जानकारों ने हिंदी के यूनिकोड टूल भी स्थापित किये हैं जो इस लेखक के लिये भी बड़े उपयोगी सिद्ध हो चुके हैं।
कहने का तात्पर्य है कि गूगल अपने साथ अधिक से अधिक लोग जोड़ने की गुंजायश रखता है और यही कारण है कि वह रचनाकर्मियों और व्यवसायियों का प्रिय बना हुआ है। जिन लोगों ने हिंदी ब्लाग जगत की शुरुआत की उनके लिये गूगल ही सबसे बड़ा सहायक रहा है और वह इसी कारण कि उसने इसके लिये गुंजायश रखी हुई है। अब सवाल यह है कि भारत के लोगों की नीयत साफ है इसलिये वह तो रचनाकर्म में लग जाते हैं पर चीन में तो हालत ऐसी नहीं है इसलिये वह ऐसे साफ्टवेयरों में प्रवेश कर उनका भारत विरोधी उपयोग के लिये कर सकते हैं। जोर जबरन जनसंख्या पर नियंत्रण के प्रयासों ने वहां के समाज का ढर्रा ही बिगाड़ दिया है। फिर इधर उसने यौन सामग्री से सुसज्जित वेबसाईटों पर प्रतिबंध भी लगाया। यहां यह बात याद रखने लायक है कि चीन में कंप्यूटर पर सक्रिय रहने वालों की संख्या भारत से कहीं अधिक है। दूसरी बात यह है कि चीन सरकार स्वयं ही कंप्यूटर पर काम करने वालों को प्रोत्साहन दे रही है। इसके विपरीत भारत में निजी मठाधीशी की परंपरा है। इसके चलते जिनका वर्चस्व कला, साहित्य, पत्रिकारिता तथा अन्य क्षेत्रों में बना हुआ है उनको लगता है कि अंतर्जाल पर आमजन की अधिक सक्रियता से उनके पीछे की भीड़ वहां से खिसक जायेगी। इसलिये वह न केवल स्वयं उपेक्षा का भाव रखे हुए हैं बल्कि दूसरों को भी निरुत्साहित करते हैं। ऐसे में वेबसाईट और ब्लाग पर रचनाकर्म के लिये सक्रिय ब्लाग लेखकों को एकाकी होकर ही अपना काम करना पड़ता है। ऐसे में हैकरी वगैरह से निपटने के लिये उनको समय कहां मिल सकता है। उधर चीन में तो बकायदा हैकरों का एक तरह संगठन बनता जा रहा है। उनका सामना करने का सामथ्र्य अमेरिका और ब्रिटेन के अंतर्जाल विशेषज्ञों में ही हो सकता है पर वह क्यों भारत के लिये यह काम करेंगे?
अनेक अमेरिकी आर्थिक विशेषज्ञ चीन की प्रगति में काले धन का योगदान मानते हैं जिसमें अपराधिक क्षेत्रों का अधिक योगदान है। अंतर्जाल पर ब्लैकमेल और वसूली के लिये धन जुटाने के प्रकरण बढ़ सकते हैं। फिर भारत विरोधी केवल धन से ही संतुष्ट कहां होते हैं? वह सांस्कृतिक, साहित्यक तथा धार्मिक क्षेत्रों मे भी वैचारिक आक्रमण करते हैं। ऐसे में अंतर्जाल पर हिंदी की समृद्धि के लिये प्रयासरत ब्लाग लेखकों को अपने ब्लाग की रक्षा भी करने के लिये सोचना पड़ेगा। जब यह लेखक अपने दो ब्लाग जब कैद में फंसे देखता है तब इस बात पर विचार करना ही पड़ता है।
यह लेखक जब किसी दिन अपना ब्लाग चीन में पढ़ा गया देखता है तो चिंता की लकीर माथे पर आने लगती हैं। इंटरनेट में हैकर्स का नाम सुनते थे पर जिस तरह तेजी से घटनाक्रम घूम रहा है उससे तो लगता है कि यहां एकचित से लिखना कोई आसान नहीं रहने वाला। हालंाकि वह समय दूर है। अभी हिंदी ब्लाग जगत पर किसी की नजर नहीं जा रही। भारत में ही लोगों को नहीं पता तो चीन वालों की नजर कहां से जायेगी। अलबत्ता नक्शे में हेरफेर इस बात को दर्शाता है कि यह तो एक तरह से अंतर्जाल पर हमले की शुरुआत है। इससे यह संकेत तो मिल गया है कि जहां भी चीनी हैकर्स को जब अवसर मिलेगा वह भारत विरोधी कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। हिंदी के ब्लाग अनेक भाषाओं में पढ़े देखे गये हैं सिवाय चीनी भाषा के-इससे यह तो तय है कि उनसे मित्रता की आशा फिलहाल तो नहीं की जा सकती।
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