Monday, August 31, 2009

गमों के शेर-हिंदी कविता (gamon ke sher-hindi sahityak kavita)

बेजान चीजों के इश्क ने
अपने ही रिश्तों में गैर का अहसास
घोल दिया है।
किसी से दिल लगाना बेकार लगता है
दोस्ती को मतलब से तोल दिया है।
हर तरफ चलती है मोहब्बत की बात
आती नहीं कभी चाहने की रात
सुबह से शाम तक
तन्हा गुजारता इंसान
तड़ता है अमन के पलों के लिये
जिसने शायरों के लिये
गमों के शेर लिखकर
वाह वाही लूटने का रास्ता खोल दिया है।

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Saturday, August 29, 2009

अमन और प्यार का पैगाम-हास्य व्यंग्य कविता (aman aur pyar ka paigam-vyangya kavita)

कागज पर छपी तस्वीरों से मूंह मोड़कर
पत्थर के बुतों को तोड़कर
किताबों में शब्दों के झुंड जोड़कर
अपनी छड़ी के सहारे
पूरी दुनियां में
अमन और प्यार का पैगाम
कुछ इंसानों ने सुनाया।
मां के पेट से पैदा हुए सभी
पर कुछ लोग ऐसे जताते हैं
जैसे धरती ने उनको बुलाया।

अपने लिखे शब्दों को
सर्वशक्तिमान का बताते
आम इंसान होकर उसका दूत जताते
आलोचना करने पर सजा
बिना सोचे हां करने पर ही आया उनको मजा
खूनी इतिहासों में
सर्वशक्तिमान के लफ्ज ढूंढने वालों!
उसने सभी को एक जैसा बनाया
न सुनो उनकी
जिन्होंने खुद को खास कहकर
दुनियां के गुरु होने के अहसास को भुनाया।
..................................

दूसरे के ईमान पर किया
हथियार लेकर हमला।
फिर बनाया अपने ईमान का गमला।
अच्छी बाते कह गये
पर नीयत हमेशा शक में रही
झूठ पर लगी ताकत के सहारे मोहर
गर्दन कटी उसकी, जिसने सच बात कही
ईमान परस्त होना अच्छा है
पर बेईमान हैं वह लोग जो
उसको बढ़ाने के लिये जुटाते अमला।
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Sunday, August 23, 2009

प्रेमी, प्रेयसी और सच-हिंदी हास्य कविता (love couple and sach ka samana-hindi hasya kavita)

आशिक ने दोस्त से कहा
‘‘यार, सोचता हूं
सच की मशीन पर बैठकर
साक्षात्कार कराऊं।
वैसे भी कहा गया है कि
त्रिया चरित्र के बारे में कोई नहीं जानता
हर कोई अपने अनुमान को सही मानता
आजकल के घोर कलियुग में तो
कहना ज्यादा कठिन है
इसलिये सच पता करने का
यह पश्चिमी मार्ग अपनाऊं।’’
सुनकर दोस्त ने कहा
‘‘किस मूर्ख ने कहा है कि
सच के सामने की मशीन से
अपनी जिंदगी का प्रमाणपत्र पाओ
दोस्त! तुम जिस इश्क के चक्कर में हो
वह भी पश्चिमी मार्ग है
जिसमें आदमी और औरत चलते है
एक अकेले राही की तरह
चाहने वालों के नाम
स्टेशन की तरह बदल जाते हैं
फिर तुम कौन दूध के धुले हो
कहीं उसने कह दिया कि
तुम भी गर्म आसन (हाॅट सीट) पर
बैठकर अपना सच बताओ
तो फिर कहां जाओगे
झूठ बोलते पकड़े जाओगे
आओगे मेरे पास पूछने कि
‘रूठी प्रेयसी को कैसे मनाऊं।’
तब मेरा जवाब यही होगा कि
‘मैं खुद ही भुगत रहा हूं
तुम्हें रास्ता कहां से बताऊं।’’
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Tuesday, August 11, 2009

अपनी मेहनत पर पछताओगे-हिंदी शायरी (mehnat aur moti-hindi shayri)

विध्वंस कानों में शोर करते हुए
आंखों को चमत्कार की तरह दिखता है।
इसलिये हर कोई उसी पर लिखता है।

अथक परिश्रम से
पसीने में नहाई रचना
शांति के साथ पड़ी रहती हैं एक कोने में
कोई अंतर नहीं होता उसके होने, न होने में।
आवाज देकर वह नहीं जुटाती भीड़
इसलिये कोई उस पर नहीं लिखता है।
.........................
किसी के मन में हिलौरें
नहीं उठाओगे।
तो कोई दाम नहीं पाओगे।
हर किसी में सामथर्य नहीं होता
कि जिंदगी की गहराई में उतरकर
शब्दों के मोती ढूंढ सके
तुम सतह पर ही डुबकी लगाकर
अपनी सक्रियता दिखाओ
चारों तरफ वाह वाह पाओगे।

सच्चे मोती लाकर क्या पाओगे।
उसके पारखी बहुत कम है
नकली के ग्राहक बहुत मिल जायेंगे
पर तुम्हारे दिल को सच से
तसल्ली मिल सकती है
पर इससे पहले की गयी
अपनी मेहनत पर पछताओगे।

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Monday, August 10, 2009

दोनों हाथों मे लड्डू-व्यंग्य कविता (donon hathon men laddu-vyangya kavita)

उन्होंने पूछा
‘अपनी जाति पर तुम गर्व क्यों करते हो
अपने हर पर्व पर तुम आहें क्यो भरते हो
कहीं अपनी पहचान ढूंढते हो
कहीं अपने जन्म की पहचान
चीखों में भरते हो।’
जवाब मिला
‘अपने दबे कुचले होने की बात कहने से
हमदर्द ढेर सारे मिल जाते हैं
यहां जज्बातों के सौदागर
अन्याय की बात पर दौड़े आते
हर जगह सुर्खियों में जगह पाते
अपनी अदाओं से तो वैसे ही चमकते हैं
जब होता है काम फीका
तब अपने खिलाफ अन्याय का दर्द भर कर
लोगों कें दिलों में जगह बनाये रखने
और मशहूरी के लिये
यह अभिनय भी हम अच्छी तरह करते हैं
हम तो दोनों हाथों मे लड्डू भरते हैं
इससे फर्क नहीं पड़ता कि
तुम देखकर बस,आहें भरते हो।

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Sunday, August 09, 2009

इन्टरनेट हैकर्स-आलेख (internet hecker-hindi lekh)

उस दिन अखबार में पढ़ा कि चीन में इंटरनेट के हेकर्स को प्रशिक्षण देने वाले बकायदा संस्थान खुल गये हैं। यह कोई एक दो नहीं बल्कि बड़ी तादाद में है। यह पढ़कर माथा ठनका। इससे पहले चीनी हेकर्स द्वारा पूरी दुनियां में उत्पात बचाने की चर्चा हो चुकी है। हो सकता है कि कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हों पर खबर पढ़कर लगा कि जैसे अब अंतर्जालीय आतंकवाद की तैयारी हो रही है।
इन हैकर्स को विदेशियों के सर्वरों की सूचनायें एकत्रित करने और उन्हें हैक करने का बकायदा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह कोई मनोरंजन के लिये नहीं हो रहा बल्कि इस आतंकवाद का बकायदा व्यवसायिक उपयोग होने की आशंका प्रतीत होती है। चीन में इस समय बेकारी बहुत है और हो सकता है कि उसके युवक युवतियां इसमें बेहतर संभावनायें ढूंढ रहे हों। देश के कुछ लोगों को शायद यह मजाक लगे पर इस लेखक ने तीस साल पहले आतंकवाद पर कविता लिखी थी और आज भी लिखता है और यही अनुभव बताता है कि कहीं न कहीं अवैध ढंग से धन कमाने वाले इसी प्रकार के आतंकवाद के पीछे जाकर अपना काम करते हैं। यह हैकरी का धंधा कोई अकेले चीनी नहीं करेंगे बल्कि उनको उन देशों में अपने जमीनी संगठन की जरूरत होगी जहां से अपने कुकृत्य से धन वसूल करना होगा। ऐसे में बकायदा गिरोह बन सकते हैं।

चीन में जिस तरह की व्यवस्था है उसमें यह संभव नहीं है कि वहां के हैकर अपने देश के लोगों के विरुद्ध यह काम करें इसलिये इससे असली खतरा अन्य देशों को हैं जिसमें भारत का नाम होना तय है। जिस तरह खूनी आतंकवाद में विश्व के लोग भेद करते हैं वैसे ही इस अंतर्जालीय आतंकवाद में भी करेंगे और उसमें भी भारत के आतंकवाद को अनदेखा किया जा सकता है। भारत में सरकारी और निजी क्षेत्र में अनेक संगठन हैं और उनको निशाना बनाने का प्रयास भविष्य में हो सकता है। अखबारों में हैकर को प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों सार्वजनिक रूप से खुलना इस बात का ही संकेत हैं। उस समय चीन जांच और कार्यवाही में सहयोग करेगा यह तो सोचना ही बेकार है। फिर भारत में कहीं न कहीं उन हैकर्स का जमीनी संगठन जरूर बनेगा जिसके सहारे वह यहां अंतर्जालीय आतंक फैला सकें।
कहने को चीन तो यही कहेगा कि यह तो निजी क्षेत्र के कुछ लोग कर रहे हैं पर यह सब जानते हैं कि वहां की सरकार के बिना वहां पता भी नहीं हिल सकता।
अभी हाल ही में भारतीय नक्शे के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आयी जिसपर गूगल ने अपनी गलती मानी पर एक हिदी ब्लाग लेखक ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि यह किसी चीनी हैकर्स की बदमाशी है। इसमें भारतीय अधिकार वाले क्षेत्र चीनी क्षेत्र में दिखाई दिये गये। कुछ ब्लाग लेखकों ने इस पर शोर मचाया तो कुछ ने इसे तकनीकी पक्ष में अपने विचार रखते हुए बताया कि यह एक चीनी हैकर की शरारत है। एक हिंदी ब्लाग लेखक का कहना है कि गूगल के आधिकारिक नक्शे में सब पहले ही जैसे है। जिस नक्शे में हेराफेरी की गयी है उसे कोई भी कापी कर उसमें हेरफेर कर सकता है। संभव है कि गूगल ने इस इरादे के साथ उसे खुला रखा हो कि कोई अच्छा परिवर्तन वहां हो जाये तो उसे अपने नक्शे में भी दिखाया जाये। इसी बारे में एक ब्लाग लेखक ने बताया कि किसी चीनी हैकर ने उसमें घुसकर परिवर्तन किया है। मजे की बात यह है कि गूगल इस गलती को अपनी मान रहा है भारतीय ब्लाग लेखक तो कहते हैं कि उसकी कोई गलती नहीं है पर वह मानेगा क्योंकि उससे लोगों में यह संदेश जायेगा कि उनके सारा डाटा सुरक्षित हैं। अगर अपनी गलती न मानकर वह चीनी हैकर पर बात डालता हो यह संदेश उल्टा जायेगा। आशय यह है कि चीनी हैकर्स को यह सुविधा मिल गयी है कि वह अपराध भी कर बच भी गया। इस लेखक को अधिक जानकारी नहीं है पर जो टीवी चैनल पर देखा और हिंदी ब्लाग जगत में पढ़ा उसी के आधार पर यह सब लिख रहा है।
कुछ तकनीकी ब्लाग लेखक बताते हैं कि गूगल ने बाहर के लोगों से मदद लेने के लिये अपने कुछ साफ्टवेयर खुले रख छोड़ रखे हैं। इनमें गूगल समूह का नाम तो सभी जानते हैं। इस समूह में हिंदी ब्लाग जगत के अनेक तकनीकी ब्लाग लेखकों ने ‘चिट्ठाकार समूह’ शुरु किया जो आजतक चल रहा है। इसी में ही भारतीय भाषाओं के जानकारों ने हिंदी के यूनिकोड टूल भी स्थापित किये हैं जो इस लेखक के लिये भी बड़े उपयोगी सिद्ध हो चुके हैं।
कहने का तात्पर्य है कि गूगल अपने साथ अधिक से अधिक लोग जोड़ने की गुंजायश रखता है और यही कारण है कि वह रचनाकर्मियों और व्यवसायियों का प्रिय बना हुआ है। जिन लोगों ने हिंदी ब्लाग जगत की शुरुआत की उनके लिये गूगल ही सबसे बड़ा सहायक रहा है और वह इसी कारण कि उसने इसके लिये गुंजायश रखी हुई है। अब सवाल यह है कि भारत के लोगों की नीयत साफ है इसलिये वह तो रचनाकर्म में लग जाते हैं पर चीन में तो हालत ऐसी नहीं है इसलिये वह ऐसे साफ्टवेयरों में प्रवेश कर उनका भारत विरोधी उपयोग के लिये कर सकते हैं। जोर जबरन जनसंख्या पर नियंत्रण के प्रयासों ने वहां के समाज का ढर्रा ही बिगाड़ दिया है। फिर इधर उसने यौन सामग्री से सुसज्जित वेबसाईटों पर प्रतिबंध भी लगाया। यहां यह बात याद रखने लायक है कि चीन में कंप्यूटर पर सक्रिय रहने वालों की संख्या भारत से कहीं अधिक है। दूसरी बात यह है कि चीन सरकार स्वयं ही कंप्यूटर पर काम करने वालों को प्रोत्साहन दे रही है। इसके विपरीत भारत में निजी मठाधीशी की परंपरा है। इसके चलते जिनका वर्चस्व कला, साहित्य, पत्रिकारिता तथा अन्य क्षेत्रों में बना हुआ है उनको लगता है कि अंतर्जाल पर आमजन की अधिक सक्रियता से उनके पीछे की भीड़ वहां से खिसक जायेगी। इसलिये वह न केवल स्वयं उपेक्षा का भाव रखे हुए हैं बल्कि दूसरों को भी निरुत्साहित करते हैं। ऐसे में वेबसाईट और ब्लाग पर रचनाकर्म के लिये सक्रिय ब्लाग लेखकों को एकाकी होकर ही अपना काम करना पड़ता है। ऐसे में हैकरी वगैरह से निपटने के लिये उनको समय कहां मिल सकता है। उधर चीन में तो बकायदा हैकरों का एक तरह संगठन बनता जा रहा है। उनका सामना करने का सामथ्र्य अमेरिका और ब्रिटेन के अंतर्जाल विशेषज्ञों में ही हो सकता है पर वह क्यों भारत के लिये यह काम करेंगे?
अनेक अमेरिकी आर्थिक विशेषज्ञ चीन की प्रगति में काले धन का योगदान मानते हैं जिसमें अपराधिक क्षेत्रों का अधिक योगदान है। अंतर्जाल पर ब्लैकमेल और वसूली के लिये धन जुटाने के प्रकरण बढ़ सकते हैं। फिर भारत विरोधी केवल धन से ही संतुष्ट कहां होते हैं? वह सांस्कृतिक, साहित्यक तथा धार्मिक क्षेत्रों मे भी वैचारिक आक्रमण करते हैं। ऐसे में अंतर्जाल पर हिंदी की समृद्धि के लिये प्रयासरत ब्लाग लेखकों को अपने ब्लाग की रक्षा भी करने के लिये सोचना पड़ेगा। जब यह लेखक अपने दो ब्लाग जब कैद में फंसे देखता है तब इस बात पर विचार करना ही पड़ता है।
यह लेखक जब किसी दिन अपना ब्लाग चीन में पढ़ा गया देखता है तो चिंता की लकीर माथे पर आने लगती हैं। इंटरनेट में हैकर्स का नाम सुनते थे पर जिस तरह तेजी से घटनाक्रम घूम रहा है उससे तो लगता है कि यहां एकचित से लिखना कोई आसान नहीं रहने वाला। हालंाकि वह समय दूर है। अभी हिंदी ब्लाग जगत पर किसी की नजर नहीं जा रही। भारत में ही लोगों को नहीं पता तो चीन वालों की नजर कहां से जायेगी। अलबत्ता नक्शे में हेरफेर इस बात को दर्शाता है कि यह तो एक तरह से अंतर्जाल पर हमले की शुरुआत है। इससे यह संकेत तो मिल गया है कि जहां भी चीनी हैकर्स को जब अवसर मिलेगा वह भारत विरोधी कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। हिंदी के ब्लाग अनेक भाषाओं में पढ़े देखे गये हैं सिवाय चीनी भाषा के-इससे यह तो तय है कि उनसे मित्रता की आशा फिलहाल तो नहीं की जा सकती।
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Thursday, August 06, 2009

समाज और सवाल-हास्य कविता (samaj aur saval-hasya kavita)


बरसों से फ्लाप दुकान का
बोझ ढो रहे थे यौनाचार्य।
कभी दुध वाला पैसे देने के लिए लड़ता
तो कभी किराने वाला पकड़ता
एक तो वैसे ही जमाने से
मूंह छिपाते
फिर आधुनिक चिकित्सा शिक्षा पद्धति से
शिक्षित समाज में
उनके पास यौन रोगी भी कम आते
अब चमक रहा है उनका चेहरा
जब से परिचय बदलकर
लिख दिया है समलैंगाचार्य।’
...................................
समाज की समस्याओं पर
वह हमेशा सवाल उठाते हैं।
जवाब ढूंढने से क्यों न हो उनको परहेज
लोग उनके
सवाल पर ही वाह वाह किये जाते हैं।
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Sunday, August 02, 2009

दिल का चैन और इज्जत-हिंदी शायरी (dil ka chain aur ijjat-hindi shayri)

कामयाबी की कीमत
मुद्रा में आंकी जाने लगी है।
इज्जत और दिल के चैन का
मोल लोग भूल गये हैं
ढेर सारी दौलत एकत्रित कर
प्रतिष्ठा का भ्रम पाले
अपने पांव तले
दूसरे इंसान को कुचलने की चाहत
हर इंसान में जगी है।
..............................
वह कौनसी तराजू हैं
जिसमें इंसान की इज्जत
और दिल का चैन तुल जाये।
दौलत के ढेर कितने भी बड़े हों
फिर भी उनमें कोई द्रव्य नहीं है
जिसमें दिल का अहसास उसमें घुल जाये।
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Saturday, August 01, 2009

हिंसा में मनोरंजन की तलाश-हिन्दी व्यंग्य कविता (hindi vyangya kavita)

प्रचार माध्यमों में अपराधियों की
चर्चा कुछ इस तरह ऐसे आती है
कि उनके चेहरे पर चमक छा जाती है।
कौन कहां गया
और क्या किया
इसका जिक्र होता है इस तरह कि
असली शैतान का दर्जा पाकर भी
अपराधी कि खुशी बढ़ जाती है।

पर्दे के नकली हीरो का नाम
देवताओं की तरह सुनाया जाता है
उसकी अप्सरा है कौन नायिका
भक्त है कौन गायिका
इस पर ही हो जाता है टाइम पास
असली देवताओं को देखने की किसे है आस
दहाड़ के स्वर सुनने
और धमाकों दृश्य देखने के आदी होते लोग
क्यों नहीं फैलेगा आतंक का रोग
पर्दे पर भले ही हरा लें
असली शैतानों को नकली देवता नहीं हरा सकते
रोने का स्वर गूंजता है
पर दर्द किसे आता है
झूठी हमदर्दी सभी जगह सजाई जाती है।

कविता हंसने की हो या रोने की
बस वाह-वाह किया जाता है
दर्द का व्यापार जब तक चलता रहेगा
तब तक जमाना यही सहेगा
ओ! अमन चाहने वाले
मत कर अपनी शिकायतें
न दे शांति का संदेश
यहां उसका केवल मजाक उड़ाकर
हिंसा में मनोरजन की तलाश की जाती है।
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