ब्लाग पत्रिका लेखक अपने उस पाठक का इंतजार कर रहा था जो वर्डप्रेस के
शब्द-पत्रिका ब्लाग की पाठ पठन/पाठक संख्या पचास हजार की संख्या पार कराने वाला था। चाहे तो लेखक यह काम स्वयं भी कर सकता था। कौन देखने वाला था पर अपने साथ बेईमानी करना किसी भी मौलिक लेखक के लिये कठिन होता है। इसलिये पहले ही यह संपादकीय लिखना प्रारंभ कर दिया । इस लेखक का यह
दूसरा ब्लाग है जो अभी अभी पचास हजार पाठ पठन/पाठक संख्या पार कर गया-प्रसंगवश यह वर्डप्रेस का ही ब्लाग है। पचास हजार की संख्या पार कराने वाला पाठक कोई जबलपुर से था।
वैसे अंतर्जाल पर कोई बात दावे से कहना कठिन है क्योंकि कई बार ब्लाग की पाठ पठन और पाठक संख्या अनेक स्थानों पर देखने से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। हो सकता है यह तकनीकी गड़बड़ी के कारण होता हो। आज सुबह इस ब्लाग पर 49982 पाठ पठन/पाठक संख्या का आंकड़ा दर्ज था। उसके हिसाब से अट्ठारह जुड़ने पर पचास हजार हो जाना चाहिऐ था। मगर स्टेटकाउंटर पर इतनी संख्या से एक अधिक होने पर भी इस ब्लाग का डेशबोर्ड 49999 दिखा रहा था। स्टेटकांउटर पर कई बार ऐसा होता है कि ब्लाग पर प्रकाशित त्वरित पाठ पर फोरमों से आई संख्या चार होती है पर हिंदी के ब्लाग एक जगह दिखाने वाले फोरमों पर वह संख्या आठ या दस दिखाई देती है। तब सवाल आता है कि इस तरह के काउंटर सही गणना नहीं करते या वह उनके हिसाब से कोई गणना आवास्तविक है जिसे दिखाने का प्रावधान उसमें नहीं है।
पचास हजार की संख्या पार कराने वाले जबलपुर के उस पाठक का धन्यवाद क्योंकि उसे शायद नहीं मालुम होगा कि वह एक ब्लाग की पाठ पठन/पाठक संख्या का पचास हजार के पार पहुंचा रहा है। ब्लाग स्पाट के ब्लाग पर वर्डप्रेस की अपेक्षा नगण्य पाठ पठन/पाठक संख्या है पर उन पर लिखने का एक अलग ही मजा है।
इस लेखक के 22 ब्लाग में यह ब्लाग चौथे नंबर पर बना था पर
हिंदी पत्रिका के बाद सफलता के क्रम में इसका नंबर दूसरा है और इससे पहले बने तीनों ब्लाग अभी बहुत पीछे है जिनमें दो ब्लाग
अनंत शब्दयोग और
चिंतन हैं और एक वर्डप्रेस का
दीपकबापू कहिन है। इसको चुनौती देता एक अन्य ब्लाग
ईपत्रिका इसके पीछे चला आ रहा है और हो सकता है कि वह आने वाले दिनों में सफलता के क्रम में पहला स्थान प्राप्त कर ले।
यहां गूगल पेज रैंक की निर्णय क्षमता पर भी सवाल उठाना पड़ रहा है। इस ब्लाग को वहां 3 का अंक प्राप्त है और इसको पीछे छोड़ने वाले ब्लाग
शब्दलेख सारथी,
हिंदी पत्रिका और
शब्दलेख पत्रिका 4 अंकों के साथ इस पर बढ़त बनाये हुए हैं।
हिंदी पत्रिका के मुकाबले गूगल पेज रैंक में इसका पिछड़ना पाठों और पाठ पठन/पाठक संख्या को देखते हुए समझा जा सकता है पर
शब्दलेख सारथी और
शब्दलेख पत्रिका के मुकाबले विचारणीय विषय है। उन दोनों ब्लाग पर न तो पाठ इतने हैं और न ही पाठक संख्या। कहने का तात्पर्य यह है कि यह सब बातें अजीब हैं-आप अंतर्जाल पर कितने भी जानकार हो जायें पर यह नहीं कह सकते कि पूरी तरह से समझ गये हैं।
संभव है कि गूगल पेज रैंक के साफ्टवेयर में कोई कमी नहीं हो पर इस ब्लाग को 3 की रैंक होने पर कुछ ऐसे आंकड़े हैं जो ऐसे प्रश्न उठाते हैं और शायद यही प्रश्न इस अंतर्जाल के लिये दिलचस्पी बढ़ाने का कारण भी हैं।
इस लेखक ने बुधवार को ही यह अनुमान लगाया था कि
यह ब्लाग शनिवार दोपहर तक पचास हजार की पाठ पठन/पाठक संख्या पार करेगा क्योंकि शनिवार और रविवार को इस ब्लाग पर आवागमन अधिक होता है और बाकी दिन उसके मुकाबले आधा या उससे थोड़ा अधिक देखने को मिलता है। इसके कुछ ज्ञात कारण है जिनके बारे में दावे से लिखना कठिन है तो कुछ अज्ञात भी हो सकते हैं।
आत्ममुग्ध होकर अपने लिखे की तारीफ करना ठीक नहीं है पर
इस ब्लाग की पाठ पठन/पाठक संख्या 50 हजार पार करने के आंकड़े में उन लोगों की जरूर दिलचस्पी होगी जो हिंदी ब्लाग जगत में एक लक्ष्य के साथ सक्रिय हैं। शायद उनके लिये इसमें कोई जानकारी हो। इस पर स्टेटकाउंटर अभी पंद्रह दिन पहले ही लगाया गया है क्योंकि उसे वर्डप्रेस पर लगाना नहीं आ रहा था। ब्लागस्पाट के ब्लाग जहां आसानी से से तकनीकी जानकारी उपलब्ध है वहां तो सभी सैटिंग आसानी से सीखी जा सकती है। फिर अनेक ब्लाग लेखक ब्लाग स्पाट की तकनीकी जानकारी लिखते रहते हैं मगर वर्डप्रेस को समझना इसलिये भी कठिन है क्योकि उसके बारे में लिखने और बताने वाले बहुत कम लिखते हैं। इस पर प्रतिदिन आने वाले पाठकों की संख्या साठ से पचहत्तर नियमित रूप से है पर पाठ पठन की संख्या कभी अधिक और कम होती रहती है। अभी हाल ही में एक ही दिन में 238 की पाठ पठन संख्या आठ अप्रैल 2009 को पार की। 351 पाठों से सजे इस ब्लाग के निरंतर आगे बढ़ने की संभावना है।
अभी एक सर्वे आया था जिससे पता चला कि करीब 95 प्रतिशत ब्लाग लेखक ब्लाग स्पाट और 15 प्रतिशत वर्डप्रेस पर लिखना पसंद करते हैं। इसका मतलब साफ है कि अगर आपका वर्डप्रेस का ब्लाग, हिंदी ब्लाग एक जगह दिखाने वाले फोरमों पर नहंी दिखता और अगर उस पर लिखते हैं तो अपने मित्रों से दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि इस लेखक ने ब्लाग स्पाट और वर्डप्रेस के ब्लागों पर अलग अलग दृष्टिकोण अपनाया है। पहले पाठ लिखकर ब्लागस्पाट के ब्लाग पर प्रकाशित किया जाता है फिर उसे वर्डप्रेस के ब्लाग पर रखा जाता है। इस लेखक के ब्लाग स्पाट के सारे ब्लाग उन फोरमों पर रहते हैं और ब्लाग लेखक मित्रों से संपर्क का वही जरिया भी है। एसा नहीं है कि ब्लागस्पाट के ब्लाग बेकार है-कम से कम गूगल पेज रैंक में उनकी स्थिति देखकर तो यही लगता है कि उनकी अपनी उपयोगिता है। इस लेखक का शब्दलेख सारथी ब्लाग स्पाट पर ही है जिसे 4 का अंक प्राप्त है। इस लेखक के कम से दस ब्लाग ऐसे हैं जिनको गूगल पेज रैंक में तीन की वरीयता प्राप्त हैं इसका मतलब यह है कि वह इस ब्लाग की अपेक्षा कम पाठ और पाठ पठन/पाठक संख्या होने के बावजूद इसे गूगल पेज रैंक में तीन का अंक प्राप्त कर उसे बराबरी की चुनौती दे रहे हैं। बाकी अंतर्जाल पर जो पाठ पठन/पाठक संख्या में कितना भ्रम है और कितना सच यह तो कोई विशेषज्ञ ही बता सकता है। इस पर मित्र ब्लाग लेखकों और पाठकों द्वारा इस लेखक को निरंतर प्रोत्साहन देने के लिये हार्दिक आभार प्रदर्शन इस विश्वास के साथ कि वह आगे भी अपना समर्थन जारी रखेंगे।
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लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप