संवेदनाओं का यह व्यापार है
कहीं प्यार और कहीं खौफ
विज्ञापन के साथ बिक जाता है,
पर्दे पर जो चेहरा
बहाता है आंखों से आंसु
अगले पल ही हंसता दिख जाता है।
कहें दीपक बापू
बाज़ार के सौदागरों ने
लगा दिये हैं भौंपू सभी जगह
बजाने वालों में होड़ होती है
कभी चिल्लाने की
कभी खिलखिलाने की
बटोर सके जो दौलत
वही मुकाबले में टिक पाता है।
हम तो ढूंढते हैं अपने अंदाज में खुशी
आंखें टीवी पर लगाते जरूर
मगर दूर रखते दिल
मौका मिला तो हंस लिये
रोने से नहीं अपना नाता है।
कहीं प्यार और कहीं खौफ
विज्ञापन के साथ बिक जाता है,
पर्दे पर जो चेहरा
बहाता है आंखों से आंसु
अगले पल ही हंसता दिख जाता है।
कहें दीपक बापू
बाज़ार के सौदागरों ने
लगा दिये हैं भौंपू सभी जगह
बजाने वालों में होड़ होती है
कभी चिल्लाने की
कभी खिलखिलाने की
बटोर सके जो दौलत
वही मुकाबले में टिक पाता है।
हम तो ढूंढते हैं अपने अंदाज में खुशी
आंखें टीवी पर लगाते जरूर
मगर दूर रखते दिल
मौका मिला तो हंस लिये
रोने से नहीं अपना नाता है।
लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
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