Saturday, May 21, 2011

आम और खास इंसान-हिन्दी व्यंग्य शायरी (aam aur khas insan-hindi vyangya shayari)

कभी आंधी उड़ा जायेगी,
कभी पानी बहा ले जायेगा,
कभी आग जला डालेगी,
आम इंसान सभी का आसान शिकार है
बच जायेगा
तो भी क्या
पता नहीं कब
आम इंसानों की बेईमानी की रीति उसकी
आखिरी उम्मीद भी लूट ले जायेगी।
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वह महल में रहें या जेल में
उनके चर्चे ज़माने में होते रहेंगे,
खास इंसानों का
ईमानदारी से बेईमानी तक का सफर
रंगीनियों से सजा रहता है
उनकी अदाओं को आम इंसान
मुफ्त में ढोते रहेंगे।
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लेखक संपादक-दीपक "भारतदीप", ग्वालियर 
writer and editor-Deepak "Bharatdeep" Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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