Sunday, February 26, 2012

इंसान और साँप-हिन्दी कविता (insan aur saanp-hindi kavita ,snack and men-hindi poem)

भीड़ ने साँप देखा
एक इंसान ने उसे पकड़ा और जला दिया
इस भय से कि वह किसी को काट न ले
कहना कठिन है
इंसानों को साँप से खतरा ज्यादा है
या साँपो को इंसानों से
यह तय है कि
इंसानों के शिकार साँप अधिक होते हैं,
अपने ही साथियों की
कुछ भूलों की कीमत के बदले
अनेक साँप अपनी ज़िंदगी खोते हैं।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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