Tuesday, October 02, 2012

इतिहास से सबक सीखो-हिंदी कविता (itihas se sabak seekho-hndi kavita lesson from history-hindi poem)

बड़े बड़े शहर इतिहास में मिट गये,
कई बादशाह अपने कारनामों से पिट गये,
बहुत नामचीन और नामेवाले लोग हुए
अपने घमंड के साथ ही घिसटते रहे
फिर तुम क्यों इतना इतराते हो,
ओ, दौलत, शौहरत और ताकत वालों
अपनी कामयाबी पर नाज करने वालों
तन्ख्वाह देकर  कारिंदों को
खुद की तारीफ करना ही क्यों सिखलाते हो।
कहें दीपक बापू
आज तुम जहां खड़े हो
कल वहां कोई दूसरा खड़ा था,
जैसे तुम हो वैसे ही वह भी अड़ा था
अगर तुम न होते
तुम्हारी जगह कोई दूसरा होता
तुम क्यों अपने से जमाने को
सबक सीखना सिखलाते हो।
एक दिन तुम अपनी तारीफों से उकता जाओगे,
अपने खड़े किये अकेलेपन से डर जाओगे,
अपने महलों की रौशनी से
सभी की आंखों को कर दिया अंधा
अपने दिल का  खालीपन तब किसे दिखलाओगे।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 

Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh

कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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