जिंदगी के हर मोड़ पर
लोग मिल ही जाते हैं,
कभी हमें होता अपने कदम भटकने का अहसास
होती हैरानी यह देखकर
उन्हीं रास्तों को नया मानकर
लोग चले आते हैं।
कहें दीपक बापू
बेबस ज़माना,
जाने बस पैसा कमाना,
कीमत लेकर करता है वफा का सौदा,
विश्वास निभाने का नहीं, चर्चा का होता मसौदा,
ज़मीन पर जिंदा रहना आता नहीं
लोग पहाड़ों पर सांसों में सुगंध ढूंढने जाते हैं।
लोग मिल ही जाते हैं,
कभी हमें होता अपने कदम भटकने का अहसास
होती हैरानी यह देखकर
उन्हीं रास्तों को नया मानकर
लोग चले आते हैं।
कहें दीपक बापू
बेबस ज़माना,
जाने बस पैसा कमाना,
कीमत लेकर करता है वफा का सौदा,
विश्वास निभाने का नहीं, चर्चा का होता मसौदा,
ज़मीन पर जिंदा रहना आता नहीं
लोग पहाड़ों पर सांसों में सुगंध ढूंढने जाते हैं।
लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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Gwalior, Madhya pradesh
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