बहुत दिनों बाद आया फंदेबाज
कहने लगा
‘‘देखो मैं इतने दिन से नहीं आया,
तुम्हारी हास्य कवितायें बहते नहीं दिखीं
पड़ गयी शब्दों की खेत परं अकाल की छाया,
आम आदमी के दर्द पर लिखने का
दावा करते हो,
हास्य कवि होने का दिखावा करते हो,
मेरे बिना तुम्हें क्या हो गया,
तुम्हारा कवि मन कहां खो गया,
अरे तुम इस रोते समाज को
क्यों नही हंसाते हो,
एकाकीपन में
अपनी कलाम क्यों दबाते हो।’’
सुनकर हंसे दीपक बापू
फिर बोले-‘‘
यह सच है तुम्हारे न आने पर
हम हास्य कविता नहीं लिख पाये,
मगर ज्यादा न इतराओ
हम आम आदमी शब्द के
खास हो जाने की बात नहीं समझ पाये,
अब तो खुद को आम आदमी कहने में
हिचकिचाहट होने लगी है,
हो गयी यह पदवी खास
हमारे दावे पर भीड़ हंसने लगी है,
हम ठहरे सामान्य मनुष्य
प्रचार नहीं मिलता है,
आम आदमी कहने से कोई
बौखला न जाये
इसलिये कंप्यूटर पर हाथ हिलता है,
वैसे तुम अच्छा आये
सामान्य मनुष्य शब्द हमारे दिमाग में आ गया
इसलिये तुम बहुत भाये,
तुमने आम आदमी की जगह
सामान्य मनुष्य शब्द पैदा किया
सच है कोई नयी हास्य कविता
पैदा होती है
जब तुम मिलने आते हो।’’
लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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