Sunday, March 23, 2014

रिश्ते का व्यापार-हिन्दी क्षणिका(ristey ka vyapar-hindi short poem)



हमने तो वफा निभाई उन्हें अपना समझकर
वह उसकी कीमत पूछने लगे,
क्या मोल लगाते हम अपने जज़्बातों का
जो उन पर हमने लुटाये थे
बिना यह सोचे कि वह पराये हैं या सगे।
कहें दीपक बापू रिश्ता निभाना भी उन्होंने व्यापार समझा
जिसकी तौल वह रुपयों की तराजू में करने लगे।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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