Saturday, August 29, 2009

अमन और प्यार का पैगाम-हास्य व्यंग्य कविता (aman aur pyar ka paigam-vyangya kavita)

कागज पर छपी तस्वीरों से मूंह मोड़कर
पत्थर के बुतों को तोड़कर
किताबों में शब्दों के झुंड जोड़कर
अपनी छड़ी के सहारे
पूरी दुनियां में
अमन और प्यार का पैगाम
कुछ इंसानों ने सुनाया।
मां के पेट से पैदा हुए सभी
पर कुछ लोग ऐसे जताते हैं
जैसे धरती ने उनको बुलाया।

अपने लिखे शब्दों को
सर्वशक्तिमान का बताते
आम इंसान होकर उसका दूत जताते
आलोचना करने पर सजा
बिना सोचे हां करने पर ही आया उनको मजा
खूनी इतिहासों में
सर्वशक्तिमान के लफ्ज ढूंढने वालों!
उसने सभी को एक जैसा बनाया
न सुनो उनकी
जिन्होंने खुद को खास कहकर
दुनियां के गुरु होने के अहसास को भुनाया।
..................................

दूसरे के ईमान पर किया
हथियार लेकर हमला।
फिर बनाया अपने ईमान का गमला।
अच्छी बाते कह गये
पर नीयत हमेशा शक में रही
झूठ पर लगी ताकत के सहारे मोहर
गर्दन कटी उसकी, जिसने सच बात कही
ईमान परस्त होना अच्छा है
पर बेईमान हैं वह लोग जो
उसको बढ़ाने के लिये जुटाते अमला।
.....................




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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

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