Tuesday, August 11, 2015

लालच और लोभ के महल-हिन्दी कविता(lalach aur lobh ke mahal-hindi poem)

जिंदगी की राह में
समस्याओं का दलदल
चलना आसान नहीं है।

कामनाओं के उगे पेड़ों का
जंगल घना है
बचना आसान नहीं है।

कहें दीपक बापू फकीरी में
जिदंगी ज्यादा सरल लगती है
सोच आती भी जरूर
मगर लालच और लोभ के महल
छोड़ना आसान नहीं है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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