लखनऊ के एशबाग में जो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा उसे अभी भी कुछ लोग हल्के ले रहे हैं पर चीन और पाकिस्तान को डरना ही चाहिये। भारत में पाकिस्तान और चीन के जो समर्थक छद्म रूप रखकर भारतीय गरीबों के मसीहा बनते हैं वह फिर भाषण के खतरनाक संकेत नहीं समझेंगे-पहले भी नहीं समझे थे। कहते हैं न कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अपने भारतीय समर्थकों के हल्केपन की उपेक्षा करते हुए इन दोनों देशों को अब चिंता करनाही चाहिये। बेहतर हो कि चुपचाप भारत की मान लें वरना उनके भारतीय समर्थकों को मुंह छिपाकर भागते हुए भी देर नहीं लगती।
चिंता करने वाली दो बातें हैं-
पहली पाकिस्तान के लिये यह कि ‘आतंकवादियों को मदद करने वालों पर भी छोड़ा नहीं जायेगा-मतलब पाकिस्तान अब अपने पंजाब प्रांत तक सिमट कर रह जायेगा। एक बात तय रही कि पाकिस्तान से पूरा हिसाब चुकता नहीं हुआ है और उसके विरुद्ध अभियान जारी रहेगा। जिस तरह कश्मीर में हमले हो रहे हैं उससे यही लगता है कि अब वह अपनी तबाही को आमंत्रण दे रहा है।
दूसरी चीन के लिये है कि कोई गलतफहमी में नहीं रहे कि वह आतंकवाद से बचा हुआ है-चीन ने अपने यहां के अरेबिक विचाराधारा मानने वाले लोगों कसकर दबाया है। इस पर वह बुद्ध बाहुल्य है। भले ही चीनी नेता वामपंथी होने का दंभ भरें पर अरेबिक आतंकी वहां अपना परचम फहराना चाहते हैं और वह उसे बुद्धुपंथी ही मानते हैं। विश्व के सैन्य व अपराधिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अरेबिक आतंकी चीन पर भी नियमित हमलों की योजना बनाते रहते हैं। इस पर चीन ने जिन पाक आतंकियों के साथ संपर्क बनाया है वह कहीं न कहीं अरेबिक आतंकियों के सानिध्य में हैं। अतः एक न एक दिन उसके साथ धोखा होना ही है।
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