Wednesday, January 22, 2014

नारे और छवि-हिन्दी कविता(nare aur chhavi-hindi vyangya kavita)



कभी गरीबी हटाओ,
कभी भ्रष्टाचार भगाओ।
तख्त की तरफ जाने का रास्ता एक ही है
लोगों को जो पंसद हो
वही नारा जोर से लगाओ।
कहें दीपक बापू
भरोसे की बात कभी नहीं करना,
वादों का बहाते रहो कल्पित झरना,
लोगों की निगाह में एक बार चढ़ जाओ,
अपनी मनपंसद जगह बेहिचक पाओ,
बाद में हिसाब किताब कौन पूछता है,
चंदे और दान की पहेली कौन बूझता है,
फंस जाओं विवादों में
तर्कों का मायाजाल बुन लेना,
कहे खेत की खलिहान की सुन लेना,
समाज सेवा का व्यवसाय चलता रहेगा
प्रचार में अपनी स्वच्छ छवि के लिये
कमाई का हिस्सा लगाते जाओ।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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