इस संसार में जीवन के अपने
नियम है। मनुष्य देह की सीमा है पर उसकी
बुद्धि और मन अत्यंत बृहद रूप से काम करते हैं।
मन की तो कोई सीमा ही नहीं है वह चाहे जहां प्रिय विषय मिले वही चिपकने
लगता है। यहां गरीब और अमीर दोनों ही होते
हैं पर दोनों के व्यवहार में अंतर होता है। गरीब याचक भाव से रहता है तो अमीर के
मन अहंकार आ ही जाता है-उनमें कुछ दान भी
करते हैं पर ऐसे लोग बहुत कम ही होते हैं।
मूल बात यह है कि हर कोई अपने खान पान, रहन सहन तथा संगत से प्रभावित होता है और फिर वैसा ही
उसका व्यवहार, वाणी तथा
व्यक्तित्व हो जाता है। अतः अगर कोई बुरा
व्यवहार करता है तो उस पर ध्यान न देकर उसे क्षमा कर देना चाहिये। जिसके अंदर
दुष्टता का भाव है उसे सुधारना अत्यंत दुष्कर कार्य है। अगर कोई बुरा व्यवहार करता है तो उससे बहस करना
या समझाना एक तरह से अपना समय नष्ट करना होता है।
कविवर रहीम कहते हैं कि--------------जैसी जाकी बुद्धि है, तैसी कहे बनाय।ताकों बुरो न मानिए, लेन कहां सो जाये।।सामान्य हिन्दी में भावार्थ-जिसकी जैसी बुद्धि होती है वैसे ही बात बनाकर वह कहता है। अतः किसी की बात का बुरा न मानिए, आखिर कोई बुद्धि लेने कहां जा सकता है।जो ‘रहीम’ ओछो बढ़े, तो अति इतिराय।प्यादे सो फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाये।।सामान्य हिन्दी में भावार्थ-जब किसी निम्न प्रकृत्ति का आदमी उन्नति करता है तो उसे अहंकार आ ही जाता है। शतरंज के खेल में प्यादा जब वजीर बन जाता है तब अधिक प्रहार करने लगता है।
जिसने कभी धन या संपदा नहीं
देखी उसके पास अगर वैभव स्वयं चला आये तो उसका अहंकारी होना स्वाभाविक है। इस संसार में खाना पचाने की ढेर सारी विधियां
हैं पर धन पचाने का मंत्र किसी को नहीं आता है। सच बात तो यह है कि जिनका लक्ष्य
धन पाना है वह हमेशा ही उस नज़र गढ़ाये रहते हैं और एक दिन संपन्न हो ही जाते है।
चूंकि उन्होंने कोई अन्य संस्कार ग्रहण
नहीं किया होता इसलिये उनमें नम्रता का भाव तो हो नहीं सका। जिस तरह शतरंज
के खेल में प्यादा वज़ीर होने के बाद अधिक आक्रामक हो जाता है उसी तरह ही जिनके
अंदर विशुद्ध रूप से राजसी भाव है, धन
सपंदा आने पर वह अहंकारी न हों यह संभव नहीं है। जब हम इस तरह जीवन के नियमों को
समझेंगे तब मानसिक तनाव स्वयं ही कम होगा।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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