नींद में देखे सपने जागते ही हवा हो जाते हैं,
कभी आंखों से देखे सच भी जल्द सपना हो जाते हैं।
कहें दीपक बापू मिलते हैं रोज लोग इस जिंदगी में
उनके बिछड़ते ही हम फिर अकेले हो
जाते हैं।
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कुछ वादे उन्होंने कुछ हमने किये फिर अलग हो गये,
जिंदगी के सफर में कई चेहरे मिले
और खो गये।
कहें दीपक कौनसे दृश्य यादगार में संजोते
हम तो चलते चलते दिल से ही यायावर हो गये।
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किसी के लिये आंसू बहायें तो लोग हंसते हैं,
दिल में रखें बात तो गम के जाल में फंसते हैं।
कहें दीपक बापू वक्त के साथ मुलाकात बन जाती यादं
ज्यादा सोचें उनके बारे में ख्यालों के गड्ढे में धंसते हैं।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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