अपना दिल नहीं बहलाना
नमक की मरहम जैसे हैं चित्र
उनसे अपने दिल को नहीं सहलाना
रंगबिरंगी स्याहियों की कलम से बनी
या कैमरे से खींचा गया चित्र
वह तो है बस एक काल्पनिक मित्र
उनके चेहरों को चमकाया जाता है
फिर बाजार में उसे खरीददारों के लिये
अच्छी तरह सजाया जाता है
उनको ख्वाबों में बहक कर
रास्ते भटक जाओगे
याद रखना ऐसी परियां, जो दिखती हैं तस्वीरों में
जिनका अब जमीन पर नहीं होता आना
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
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