उसे चुटकुले सुनने का इंतजार नहीं होता
अपनी करतूतों में ही छिपे होते है
हंसने के ढेर सारे बहाने
किसी के दर्द उठने का इंतजार जरूरी नहीं होता
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नींद भरी आंखों में
पर फिर भी आती नहीं
खुशियां बिखरी पड़ी हैं चारों ओर
पर अपने दिल के दरवाजे पार आती नहीं
खड़े होकर देख रहे हैं उन शयों को
जो बहुत अच्छी लगती है
पर वह हमारे पास आती नहीं
दिल और दिमाग के पर्दे बंद कर
जिंदगी बिताने के आदी हो चुके लोग
इंतजार करते हैं मजे लेने का
पर कैसे होते है जानते नहीं
दौड़ते जाते हैं छाया के पीछे
जो किसी की पकड़ में आती नहीं
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1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
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