Wednesday, January 14, 2009

छाया के पीछे-हिंदी शायरी

हंसने की चाहत है जिसमें
उसे चुटकुले सुनने का इंतजार नहीं होता
अपनी करतूतों में ही छिपे होते है
हंसने के ढेर सारे बहाने
किसी के दर्द उठने का इंतजार जरूरी नहीं होता
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नींद भरी आंखों में
पर फिर भी आती नहीं
खुशियां बिखरी पड़ी हैं चारों ओर
पर अपने दिल के दरवाजे पार आती नहीं
खड़े होकर देख रहे हैं उन शयों को
जो बहुत अच्छी लगती है
पर वह हमारे पास आती नहीं
दिल और दिमाग के पर्दे बंद कर
जिंदगी बिताने के आदी हो चुके लोग
इंतजार करते हैं मजे लेने का
पर कैसे होते है जानते नहीं
दौड़ते जाते हैं छाया के पीछे
जो किसी की पकड़ में आती नहीं

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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

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