नैतिक आचरण की शिक्षा दी और बताया
"अपने काम के लिए वेतन के अलावा
किसी से पैसे लेना ही भ्रष्टाचार है
चोरी से बड़ा अपराध है
जो करे देश का गद्दार है
इसलिए हमेशा ईमानदारी से काम करना
खतरे की तलवार हमेशा देश पर टंगी रहेगी वरना
ऐसा ही विद्वानों ने भी बताया''
दूसरे दिन ही अनेक छात्रों के अभिभावक स्कूल
में पहुंचकर प्राचार्य से लड़ने लगे और बोले
''यह कैसा शिक्षक रखा है
जो दे रहा है ऐसी गंदी शिक्षा
क्या हमारे बच्चों से मंगवायेगा भिक्षा
उपरी कमाई को कहता है भ्रष्टाचार
जिन्दगी की असलियत का नहीं करता विचार
वेतन से भला कभी घर चलते हैं
यह बच्चे क्या ऐसे पलते हैं
चोरी ही सबसे बड़ा अपराध है
बरसों से किताबे में यही पढाया
उसमें बदलाव लाने वाला यह कौन आया
हमने कितने संजोये हैं
बच्चों के भविष्य को लेकर सपने
यह उनको बिखेर देगा
क्या हमने इसलिए अपने बच्चों को
स्कूल में भिजवाया"
प्राचार्य ने उनसे माफी मांगी और
उस शिक्षक को अपने स्कूल से हटाया
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1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
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