Friday, December 12, 2008

आंतक तुम्हारे दिल में घर नहीं बनायेगा-तीन क्षणिकायें

आतंक को पंख नहीं है
पर फिर भी हमेशा उड़ता नजर आता
इंसान के दिल में बैठा डर
उसे चुंबक की तरह खींच लाता है
शायद इसलिये इंसानों के
जज्बातों से खिलवाड़ कर
अपने धंधे चलाने वालों को
आतंक की हवा बाजार में बेचने के लिये
सड़क पर असली खून
बहाना जरूरी नजर आता है
...........................
आने से पहले मौत इंसान को
जिंदगी में कितनी बार डराती है
अपना भूत हमेशा उसके पीछे दौड़ाती है
जेहन में जो आदमी के है
वही दहशत उसका सहारा बन जाती है
....................................................

तुम डरो नहीं तो
आतंक कहीं नजर नहीं आयेगा
समझ लो जब तक तय नहीं है
तो मौत का दिन नहीं आयेगा
फिर किसी का आतंक
तुम्हारे दिल में घर नहीं बनायेगा

...................................
लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

bijnior district said...

तुम डरो नहीं तो
आतंक कहीं नजर नहीं आयेगा
समझ लो जब तक तय नहीं है
तो मौत का दिन नहीं आयेगा
फिर किसी का आतंक
तुम्हारे दिल में घर नहीं बनायेगा
...................................
तीनो क्षणिका बहतु अच्छी है। बधाई

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

विशिष्ट पत्रिकाएँ