हमें आवाज देकर उन्होंने
अपना चेहरा दीवार के पीछे छिपा लिया
हमने भी कोशिश नहीं की
पीछे जाकर देखने की
उनकी आवाज को ही
उनकी पहचान बना लिया
जिंदगी के इस सफर में
कई चेहरे हैं जो देखकर भी
दिल में खुशी की लहर नहीं दौड़ी
पर जहां एक शब्द से भरी आवाज ने भी
कई बार माहौल सुहाना बना दिया
................................
लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
ऐसा होता है.
Post a Comment