बहुत प्रचार कर उन्होंने लगाया
पंजीयन के लिये बस
पचास रुपये का नियम बनाया
खूब आये मरीज
इलाज में बाजार से खरीदने के लिये
एक पर्चा सभी डाक्टर ने थमाया
इस तरह अपने लिये उन्होंने
अपने धर्मात्मा होने का प्रमाण पत्र जुटाया
...........................................
ऊपर कमाई करने वालों ने
अपने लेने और देने के दामों को बढ़ाया
इसलिये भ्रष्टाचार विरोधी
पखवाड़े में कोई मामला सामने नहंीं आया
धर्मात्मा हो गये हैं सभी जगह
लोगों ने अपने को समझाया
.........................
लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
ऐसे धर्मात्मा आजकल थोक के भाव मिलते हैं। इनकी आत्मा और धर्म क्या कहें ........................
Post a Comment